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Little Known Facts About baglamukhi.

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सौवर्णासनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांषुकोल्लासिनीं, प्रत्येक प्राणी स्वयं को अभिव्यक्त करना चाहता है। परिदृश्यमान जगत वस्तुत: मनुष्य की आत्माभिव्यक्ति का ही एक साधन मात्र है और इस आत्माभिव्यक्ति के लिए निजभाषा से श्रेष्ठ अन्य कोई माध्यम नहीं हो सकता। इसलिये यह वेबसाइट निजभाषा और विभिन्न मुद्दों पर स्पष्ट वैचारिक अभिव्यक्ति को https://eminemi643viu7.blog-ezine.com/profile

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